Wednesday, September 21, 2016

प्रकृति का क्रिया-कलाप

मधुर मधुर संगीत है ये
या चिड़ियों की चेहचाहर है
सिन्दूर- श्रृंगार है धरती का
या सूर्य-किरण का आकार है।

कलकल घुंघरू सा बजे ये
या नदी के पानी का बहाब है
मस्त यूँ होकर 'बेफिक्र' सा
या मदमस्त पवन का गुबार है।

महकता चहकता ये यौवन सा
या उपवन में फूलों की बयार है
रूठता मनवाता कोई बालक सा
या मौसम की बदलती बहार है।।

सुलगता जलता ये कोयले सा
या सूरज का बढ़ता ये ताप है
हर दिन नित्य ये वही घटना सा
ये प्रकृति का क्रिया-कलाप है।।
   
             विशाल "बेफिक्र"

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