हकीकत से हो जब रूबरू
खुदी से जब हो न खफा
कर तू तब फैसले ऐ दिल
क्या वफ़ा ? क्या बेवफा?
जूनून जब सर पे हो न चढ़ा
सुकून जब तक न मिला
होना तू न बेसबर ऐ दिल
मत करना तू कोई सिला।
हो मजबूर या कोई गुरूर हो
चाहे किस्सा भी हो कोई सुना
चलना न तू उस डगर ऐ दिल
सफ़र हिफाज़त न हो सौ गुना।
कर उम्मीद खुद पे यकीन रख
कोशिश को अपना बना हथियार
जिसको तू न पा सका ऐ दिल वो
पायेगा तुझे , तू बस रहना तैयार।
-विशाल "बेफिक्र"
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