मैं चित्रकार हूँ
न कर मुझसे कोई उम्मीद , मित्र
कर सकते हैं कुछ बयाँ
गर तो कर सकते मेरे चित्र।
मैं गीतकार हूँ
न करो मुझसे किसी की आस, मीत
कर सकते हैं कुछ बयाँ
गर तो कर सकते मेरे गीत।
मैं शिल्पकार हूँ
न कर सकता ईमारत की संरचना
कर सकती है कुछ बयाँ
गर तो कर सकती मेरी कल्पना।
मैं कलाकार हूँ
न कर सकता मैं किसी का भला
कर सकती है कुछ बयाँ
गर तो कर सकती मेरी कला।
मैं रचनाकार हूँ
न करो मुझसे किसी मर्म की आस
कर सकते हैं कुछ बयाँ
गर तो कर सकते ये एहसास।
-विशाल "बेफिक्र"
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