Wednesday, February 15, 2017

अश्कों की खातिर

तेरी हर ख़्वाहिश को पूरा करने
को ये दिल चाहता है
तुझसे मुहब्बत की आजमाइश
को ये दिल चाहता है
मुकम्मल जहाँ तब होगा नसीब
ऐ मेरे यार अपना तो
जब तेरी हर दुआ में ज़िक्र अपना
भी ज़रा सा आता है
अश्क़ तेरे जो बहें किसी बात पर
दम निकलता है इधर भी
उन तेरे चंद अश्कों की खातिर दुनिया
हिलाने को जी चाहता है

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