बेफ़िक्र आवारा
Friday, August 7, 2020
रुबरू
हर एक लम्हा इन्तज़ार था हमें तेरा,
तुम एक घड़ी भी हमसे रूबरू न हुए ।
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मेहनत की रोटी
मेहनत की सूखी रोटी का क्या मजा है, खुद्दार हूँ मैं, हराम की बिरयानी एक सजा है ।
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