बेफ़िक्र आवारा
Wednesday, August 5, 2020
पंख पसारे उड़ चलूँ
पंख पसारे
उड़ चलूँ,
पंछी बन मैं
उड़ चलूँ ।
नभ-ऊँचाई
नाप लूँ,
कुछ पैमाने भी
जांच लूँ ।
पवन-वेग भी
भाँप लूँ,
नीरद-सीमा भी
कर पार लूँ,
अरुण-लालिमा
में रंग लूँ,
शीत चाँदनी में
निहार लूँ ।
-विशाल ' बेफ़िक्र '
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मेहनत की सूखी रोटी का क्या मजा है, खुद्दार हूँ मैं, हराम की बिरयानी एक सजा है ।
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