Friday, September 16, 2016

रास्ते हैं ओझल

चलने की और
तमन्ना होती
गर पैर डगमगाये
न होते ।
नज़र मंजिल की
ओर होती
गर रास्ते दिखाई
दिए होते ।।
         -विशाल "बेफिक्र"

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