Thursday, September 15, 2016

Abcd तो फर्राटे से सुनाता है।

शायद अभी एक महीना ही गुज़रा होगा जब मेरे माता पिता मुझसे मिलने आये। मैं एक सरकारी कंपनी में कार्यरत हूँ। बहुत ही प्रफुलित थे वो भी मैं भी शायद माँ बाप बेटे का मिलन जो काफी दिनों बाद हुआ था। वो अपने साथ मेरे भांजे जोकि अभी 3 वर्ष के आस पास था लाये थे। हम खूब एक दूजे से अपनी व्यथा गाथा सुना रहे थे। तभी यकायक मुझे खुजली सूझती है कि मैं अपने भांजे से पूछता हूँ बेटा जरा कुछ सुनाना। इतना कहना भर था कि उधर से मेरी माँ आयी बोली बेटा उसको सारी ABCD याद है। मैं खुश था क्योंकि मुझे ये सब याद करने में बहुत समय लग गया था। उसने धीरे धीरे सारी ABCD मुझे सुना दी। मेरी माँ अपने नवासे की तारीफ करते नहीं थक रही थी की उसे इंग्लिश का इतना ज्ञान है मात्र इतनी सी उम्र में। मैं अधीर हो उठा। शायद बहुत ज्यादा खुश हो गया था। मैंने उससे ओलम (हिंदी की वर्णमाला) भी पूछ ली। इस बार वो मूक था। और मेरी माँ को कोई मतलब नहीं था। शायद मेरा प्रश्न ही गलत था। हिंदी का ज्ञान भी कोई ज्ञान है। धत। मैं भी क्या पूछ रहा हूँ। क्यों वापस बाबा आज़म के ज़माने को दोहरा रहा हूँ। समय बदल गया है। और हम भी।

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