Thursday, March 29, 2018

उपहास होता हूँ

देख दुनिया की उदासी
मैं उदास होता हूँ
हंसे जब दुनिया खुलके
मैं उपहास होता हूँ।

दुनिया जब खोये जुबाँ
मैं आवाज़ होता हूँ।
थक के थमे दुनिया तब
मैं आगाज़ होता हूँ।

टूटे हो जब सारे सपने
मैं विश्वास होता हूँ।
जी पड़े जिसे लेके दुनिया
मैं वो साँस होता हूँ।

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