परिंदों सी उड़ान भर के साख पे मैं आन बैठा । देख दुनिया के रंग कई मैं तेरे दर पे आन बैठा ।
ये तेरी मर्जी है ए मेरे खुदा अपनाये या न अपनाये, मैं सब भूल ,सब छोड़छाड़ तेरे घर पे आन बैठा ।
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