मन-प्रसून प्रफुल्लित , कहाँ अब? हृदय-उपवन सा उजड़ा हो जब । जीवन-नीरद सा भरा , कहाँ अब? आत्मा-धरा सी शुष्क पड़ी जब । उत्साह-पवन जीवित , कहाँ अब? अवसाद-शूल सा चुभा पड़ा जब ।
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