मन-प्रसून प्रफुल्लित ,
कहाँ अब?
हृदय-उपवन सा
उजड़ा हो जब ।
जीवन-नीरद सा भरा ,
कहाँ अब?
आत्मा-धरा सी
शुष्क पड़ी जब ।
उत्साह-पवन जीवित ,
कहाँ अब?
अवसाद-शूल सा
चुभा पड़ा जब ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
तेरी हर ख़्वाहिश को पूरा करने को ये दिल चाहता है तुझसे मुहब्बत की आजमाइश को ये दिल चाहता है मुकम्मल जहाँ तब होगा नसीब ऐ मेरे यार अपना तो...
-
ज़िंदगी बस जीए जा रहा हूं
-
Daily Editorials 1. Trouble in Nepal: On Nepal Communist Party factional fight https://www.thehindu.com/opinion/editorial/trouble-in-nepal-...
No comments:
Post a Comment