परिस्थिति पहाड़ हो
कुदरत की लताड़ हो ,
दृष्टि ओझल हो
राह बोझिल हो ,
तन-पीड़ा असहाय हो
जीने का न उपाय हो ,
मन बड़ा अशांत हो
मांगता बस एकांत हो,
तू निडर बढ़े जा
कर्म भर किये जा,
है ज़िगर तेरा भी
मत डर तू ज़रा भी,
खौलता जो खून है
चाहिए वो जुनून है।
-बेफ़िक्र
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