चीख पुकार और
मातम का मरना ,
हृदय विदारक
अनहोनी वो घटना ,
अब मन का इन
बातों से 'न' डरना ,
गर्म लहू का बेबस
नसों में जमना ,
देश-प्रेम का बस
'नारों' में घर करना ,
कलम दवात का
हुक्मरानों से रुकना ,
बुलंद आवाज़ों का
दहशत से दबना ,
पग-पग पल-पल
सहमे से रहना ,
देशभक्ति हेतु
साक्ष्यों का रखना ,
'छ्द्म ' आज़ादी को
वीरों का मरना ,
भ्रष्टाचार का 'धन' से
'मन' में घर करना ,
ज़िक्र इतिहासों का
स्वार्थ से ही करना ,
अराजकता से हुकूमत
नतमस्तक हो जाना,
जमीरों का बस,
अंध-मरण हो जाना,
दुनिया का एकदूजे
से होना बेगाना,
पर -पीड़ा पे ही
प्रीत जताना ,
दुनिया का इस स्तर
तक गिर जाना ,
गलत देख कर
आंख भी न झपकाना,
सब देख मन
मेरा तो घबराता है
सब सोच हृदय
विदीर्ण सा हो जाता है
आह निकलती है
लेकिन फिर से
कहीं शोर हो जाता है,
कहीं शोर हो जाता है ।