Sunday, January 28, 2018

पर कहीं शोर हो जाता है !

चीख पुकार और
     मातम का मरना ,
हृदय विदारक
     अनहोनी वो घटना ,
अब मन का इन
     बातों से 'न' डरना ,
गर्म लहू का बेबस
     नसों में  जमना ,
देश-प्रेम का बस
     'नारों' में घर करना ,
कलम दवात का
     हुक्मरानों से रुकना ,
बुलंद आवाज़ों का
     दहशत से दबना ,
पग-पग पल-पल
     सहमे से रहना ,
देशभक्ति हेतु
     साक्ष्यों का रखना ,
'छ्द्म ' आज़ादी को
      वीरों का  मरना ,
भ्रष्टाचार का 'धन' से
      'मन' में घर करना ,
ज़िक्र इतिहासों का
      स्वार्थ से ही करना ,
अराजकता से हुकूमत
     नतमस्तक हो जाना,
जमीरों का बस,
     अंध-मरण हो जाना,
दुनिया का एकदूजे
     से होना बेगाना,
पर -पीड़ा पे ही
     प्रीत जताना ,
दुनिया का इस स्तर
     तक गिर जाना ,
गलत देख कर
     आंख भी न झपकाना,
सब देख मन
     मेरा तो घबराता है
सब सोच हृदय
    विदीर्ण सा हो जाता है
आह निकलती है
    लेकिन फिर से
    कहीं शोर हो जाता है,
    कहीं शोर हो जाता है ।
    
    

    

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