"ज़िंदगी गुज़ार दी हमें गिराने किसी अंधे कुंएं में , गहराई बढ़ाने उसकी हो गए दफन खुद खोदते खोदते "
'वक़्त के बदलने का इंतजार यूँ न कर तू बेसबर होके, कहीं वक़्त भी खुद तेरे बदलाव की राह न देख रहा हो '
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