Wednesday, March 29, 2017

एक हूँ में

क्यों किसी दायरों में समेटते हो तुम
मेरा दिल दरिया है सभी के लिए
क्यों मंदिर मस्जिद पे बिफरे जैसे कोई
ये जरिया है मुझ तक पहुंचने के लिए

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