अगर चलो कहीं
निशान बनाते चलो
पैरों के निशाँ नहीं
दिल हथियाते चलो ।
ज़िन्दगी नज़्म है इसे
गुनगुनाते चलो
बहुत रह लिए अजनबी
हमसफ़र बनाते चलो ।
बुरा वक्त सही वक्त
न ऐसे ढर्रे में ढलो
कैसा भी हो तेरा है ये
वक़्त अपनाते चलो ।
राहों में उलझे हो ऐसे क्यों
मंजिलें पाते चलो
जब लगे जी न वहां पर
नयी राहें ढूंढते चलो ।
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