कुछ सोचकर
मैं चल रहा
मेरी न किसी
से होड़ है,
जिंदगी चल
रही साथ में
मेरी अब खुद
से ही दौड़ है,
थकू न कभी
रुकूं न कहीं
प्रभु विनती
यही हाथ जोड़ है,
मिले कोई जो
आपदा
साहस साथ
बस सदा,
हूं तैयार अब
हो कोई सजा
कुर्बान अब
न होऊं बेवजह,
चलो तुम
कौन रोक रहा
करो कुछ
कौन टोक रहा,
कर्तव्य ही
हो अब धरम
डरो नहीं,
न करो शरम,
यही वो वक्त है
मान लो
सोचते उसे करने
की ठान लो।