परिंदों की भी क्या उड़ान होती होगी पंखों में न सही इरादों में जान होती होगी, उड़ जाते दूर वो मीलों के सफर पे मजहबी सीमाएं भी उनसे परेशान होती होंगी ।
-विशाल "बेफ़िक्र"
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