जग उजला पग -पग उजला
चहुँ ओर किरण सा छाते हैं
कहो कि हम अब आते हैं
अंधकार की काली रातों में
एक नन्हा सा दीप जलाते है
कहो कि हम अब आते हैं
दिन रात जलते निस्वार्थ दीपक से
जीवन उपवन सा कर जाते हैं
कहो कि हम अब आते हैं
हक़ है किसका कितना ,हमको क्या?
हम कर्तव्यों पे ही मर मिट जाते हैं
कहो कि हम अब आते हैं
विषम परिस्थितियों में भी हम
एक जीने की राह सुझाते हैं
कहो कि हम अब आते हैं
हम भारत की संतानें हैं नामों में क्या?
कि हम शक्तिपुत्र भी कहलाते हैं
कहो कि हम अब आते हैं
नित नवीन खोजों से हो अवगत
सब बस एक नाम हो जाते है
हम एनटीपीसी कहलाते हैं
हम एनटीपीसी कहलाते हैं
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