Wednesday, July 1, 2015

तुझे सोच के

सुकून मिलता है
 तुझे देख के ।
जूनून मिलता है
 तुझे सोच के ।

क़यामत आती है 
मुझ पर ।
ऐसे न देख ऐ 
जालिम हसीन ।
रूह को चैन मिलता 
तुझे देख के ।

तेरा जिक्र हो या 
तेरी फिक्र हो ।
तन मन में अजब सी 
बेचैनी होती है ।
जुदा है तू मगर ऐ
 मेरे जाने जिगर ।
डर लगता है तेरी 
जुदाई सोच के ।

-विशाल 'बेफिक्र'



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