बेफ़िक्र आवारा
Thursday, July 30, 2020
दास्ताँ
वैसे तो कलम से लिखी जाती हैं दास्ताँ, पर ज़िक्र हौंसलों का ही होता है वहाँ !
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मेहनत की रोटी
मेहनत की सूखी रोटी का क्या मजा है, खुद्दार हूँ मैं, हराम की बिरयानी एक सजा है ।
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